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ग़ाएब हर मंज़र मेरा - राजेन्द्र मनचंदा बानी कविता - Darsaal

ग़ाएब हर मंज़र मेरा

ग़ाएब हर मंज़र मेरा

ढूँड परिंदे घर मेरा

जंगल में गुम फ़स्ल मिरी

नद्दी में गुम पत्थर मेरा

दुआ मिरी गुम सर-सर में

भँवर में गुम मेहवर मेरा

नाफ़ में गुम सब ख़्वाब मिरे

रेत में गुम बिस्तर मेरा

सब बे-नूर क़यास मिरे

गुम सारा दफ़्तर मेरा

कभी कभी सब कुछ ग़ाएब

नाम कि गुम अक्सर मेरा

मैं अपने अंदर की बहार

'बानी' क्या बाहर मेरा

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In Hindi By Famous Poet Rajinder Manchanda, Bani. is written by Rajinder Manchanda, Bani. Complete Poem in Hindi by Rajinder Manchanda, Bani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.