ये नाज़ुक लब हैं या आपस में दो लिपटी हुई कलियाँ
ज़रा इन को अलग कर दो तरन्नुम फूट जाएँगे
Anwar Masood
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
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न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए
यूँ हसरतों के दाग़ मोहब्बत में धो लिए
न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
इक छोटा सा था मेरा आशियाँ
इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा न हुआ
मिरी दास्ताँ मुझे ही मिरा दिल सुना के रोए
किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो