न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे
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किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो
कहीं से मौत को लाओ कि ग़म की रात कटे
जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
मिरी दास्ताँ मुझे ही मिरा दिल सुना के रोए
उन को ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
यूँ हसरतों के दाग़ मोहब्बत में धो लिए
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था