न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
दुआ को हाथ उठाओ कि ग़म की रात कटे
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किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो
हमें वास्ता तड़प से हमें काम आँसुओं से
इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
यूँ हसरतों के दाग़ मोहब्बत में धो लिए
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए
कहीं से मौत को लाओ कि ग़म की रात कटे
मिरी दास्ताँ मुझे ही मिरा दिल सुना के रोए
किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
इक छोटा सा था मेरा आशियाँ