किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
ज़माना गुज़रा है अपना ख़याल आए हुए
बड़ी अजीब ख़ुशी है ग़म-ए-मोहब्बत भी
हँसी लबों पे मगर दिल पे चोट खाए हुए
हज़ार पर्दे हों पहरे हों या हों दीवारें
रहेंगे मेरी नज़र में तो वो समाए हुए
किसी के हुस्न की बस इक किरन ही काफ़ी है
ये लोग क्यूँ मिरे आगे हैं शम्अ' लाए हुए
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