राजेन्द्र कृष्ण कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राजेन्द्र कृष्ण
नाम | राजेन्द्र कृष्ण |
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अंग्रेज़ी नाम | Rajinder Krishan |
जन्म की तारीख | 1919 |
मौत की तिथि | 1988 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ये नाज़ुक लब हैं या आपस में दो लिपटी हुई कलियाँ
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
हमें वास्ता तड़प से हमें काम आँसुओं से
इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
इक छोटा सा था मेरा आशियाँ
यूँ हसरतों के दाग़ मोहब्बत में धो लिए
उन को ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
मिरी दास्ताँ मुझे ही मिरा दिल सुना के रोए
किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
कहीं से मौत को लाओ कि ग़म की रात कटे
जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए
इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा न हुआ