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हर एक साँस ही हम पर हराम हो गई है - राजेश रेड्डी कविता - Darsaal

हर एक साँस ही हम पर हराम हो गई है

हर एक साँस ही हम पर हराम हो गई है

ये ज़िंदगी तो कोई इंतिक़ाम हो गई है

जब आई मौत तो राहत की साँस ली हम ने

कि साँस लेने की ज़हमत तमाम हो गई है

किसी से गुफ़्तुगू करने को जी नहीं करता

मिरी ख़मोशी ही मेरा कलाम हो गई है

परिंदे होते तो डाली पे लौट भी जाते

हमें न याद दिलाओ कि शाम हो गई है

इधर तो रोज़ के मरने से ही नहीं फ़ुर्सत

उधर वो ज़िंदगी फ़ुर्सत का काम हो गई है

हज़ारों आँसुओं के बअ'द इक ज़रा सी हँसी

किसी ग़रीब की मेहनत का दाम हो गई है

बना न पाई कभी आदतों को अपना ग़ुलाम

ये ज़िंदगी तो ख़ुद उन की ग़ुलाम हो गई है

पुरानी यादों ने जब भी लगा लिया फेरा

इस उजड़े दिल में बड़ी धूम-धाम हो गई है

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In Hindi By Famous Poet Rajesh Reddy. is written by Rajesh Reddy. Complete Poem in Hindi by Rajesh Reddy. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.