Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c453bcd847167533d90a8a7f97cddcb1, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दरवाज़े के अंदर इक दरवाज़ा और - राजेश रेड्डी कविता - Darsaal

दरवाज़े के अंदर इक दरवाज़ा और

दरवाज़े के अंदर इक दरवाज़ा और

छुपा हुआ है मुझ में जाने क्या क्या और

कोई अंत नहीं मन के सूने-पन का

सन्नाटे के पार है इक सन्नाटा और

कभी तो लगता है जितना है काफ़ी है

और कभी लगता है और ज़रा सा और

सच कहने पर ख़ुश होना तो दूर रहा

किया ज़माने ने मुझ को शर्मिंदा और

अजब मुसाफ़िर हूँ मैं मेरा सफ़र अजीब

मेरी मंज़िल और है मेरा रस्ता और

औरों जैसे और न जाने कितने हैं

कोई कहाँ है लेकिन मेरे जैसा और

(722) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rajesh Reddy. is written by Rajesh Reddy. Complete Poem in Hindi by Rajesh Reddy. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.