Ghazals of Rajesh Reddy
नाम | राजेश रेड्डी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rajesh Reddy |
जन्म की तारीख | 1952 |
मौत की तिथि | - |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़िंदगी तू ने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं
यूँ देखिए तो आँधी में बस इक शजर गया
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ
ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है
यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले
शौक़ की हद को अभी पार किया जाना है
सफ़र में अब के अजब तजरबा निकल आया
रंग मौसम का हरा था पहले
न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़
लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है
कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ
कुछ इस क़दर मैं ख़िरद के असर में आ गया हूँ
कितनी आसानी से दुनिया की गिरह खोलता है
किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता
ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा
जो कहीं था ही नहीं उस को कहीं ढूँढना था
जिस को भी देखो तिरे दर का पता पूछता है
जाने कितनी उड़ान बाक़ी है
इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी
हर एक साँस ही हम पर हराम हो गई है
है कोई बैर सा उस को मिरी तदबीर के साथ
घर से निकले थे हौसला कर के
ग़म को दिल का क़रार कर लिया जाए
दुनिया से, जिस से आगे का सोचा नहीं गया
दिन को दिन रात को मैं रात न लिखने पाऊँ
दरवाज़े के अंदर इक दरवाज़ा और
ऐसे न बिछड़ आँखों से अश्कों की तरह तू
अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम