एक दिन भीगे थे बरसात में हम तुम दोनों
अब जो बरसात में भीगोगे तो याद आऊँगा
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दामन-ए-सद-चाक को इक बार सी लेता हूँ मैं
बे-वफ़ाओं को वफ़ाओं का ख़ुदा हम ने कहा
महताब नहीं निकला सितारे नहीं निकले
तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त
तुम्हारी याद
क्या क्या सवाल मेरी नज़र पूछती रही
आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा
आ जाना
मैं था किसी की याद थी जाम-ए-शराब था
बैठे रहो कुछ देर अभी और मुक़ाबिल
शाम कठिन है रात कड़ी है
नई दुनिया