बैठे रहो कुछ देर अभी और मुक़ाबिल
अरमान अभी दिल के हमारे नहीं निकले
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Gulzar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(624) Peoples Rate This
बे-वफ़ाओं को वफ़ाओं का ख़ुदा हम ने कहा
क्या आज उन से अपनी मुलाक़ात हो गई
शाम कठिन है रात कड़ी है
तुम्हारी याद
पड़ी रहेगी अगर ग़म की धूल शाख़ों पर
दामन-ए-सद-चाक को इक बार सी लेता हूँ मैं
कहीं ज़मीं से तअल्लुक़ न ख़त्म हो जाए
महताब नहीं निकला सितारे नहीं निकले
नई दुनिया
एक दिन भीगे थे बरसात में हम तुम दोनों
तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त