तौसीफ़
उस ने कहा था:
बोल रहट के और पंछी के
सब अल्फ़ाज़ सदाएँ सारी
जो तहलील हुईं नीले गुम्बद में
जो तहरीर हुईं लम्हों पर
जो महसूब हुईं साँसों से
नील गगन में सुब्ह-ए-अज़ल से तैर रही हैं
आज भी उन को सुन सकते हैं, पढ़ सकते हैं
उस ने कहा था:
शब्द अमर है.....
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