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कोई पत्थर ही किसी सम्त से आया होता - राज नारायण राज़ कविता - Darsaal

कोई पत्थर ही किसी सम्त से आया होता

कोई पत्थर ही किसी सम्त से आया होता

पेड़ फलदार मैं इक राहगुज़र का होता

अपनी आवाज़ के जादू पे भरोसा करते

मोर जो नक़्श था दीवार पे नाचा होता

एक ही पल को ठहरना था मुंडेरों पे तिरी

शाम की धूप हूँ मैं काश ये जाना होता

एक ही नक़्श से सौ अक्स नुमायाँ होते

कुछ सलीक़े ही से अल्फ़ाज़ को बरता होता

लज़्ज़तें क़ुर्ब की ऐ 'राज़' हमेशा रहतीं

शाख़-ए-संदल से कोई साँप ही लिपटा होता

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In Hindi By Famous Poet Raj Narayan Raaz. is written by Raj Narayan Raaz. Complete Poem in Hindi by Raj Narayan Raaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.