हर एक साँस में कुछ दर्द दर्द लगता है

हर एक साँस में कुछ दर्द दर्द लगता है

मिरा वजूद ही अब गर्द गर्द लगता है

तुम्हारे क़ुर्ब में गर्मी बहुत ग़ज़ब की थी

हवा का हाथ मगर सर्द सर्द लगता है

न जाने आई कहाँ से भिकारीयों की ये भीड़

गदागर आज मुझे फ़र्द फ़र्द लगता है

उसी में देखी थी तस्वीर-ए-काएनात कभी

वो आईना कि जो अब गर्द गर्द लगता है

वो एक हम थे कि समझा हरीफ़ को भी हलीफ़

फ़रेब-कार तुम्हें फ़र्द फ़र्द लगता है

किसी के होंटों की सुर्ख़ी को क्या हुआ है 'राज'

ग़ज़ल का चेहरा भी कुछ ज़र्द ज़र्द लगता है

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In Hindi By Famous Poet Raj Kheti. is written by Raj Kheti. Complete Poem in Hindi by Raj Kheti. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.