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सभी अंधेरे समेटे हुए पड़े रहना - रईस सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

सभी अंधेरे समेटे हुए पड़े रहना

सभी अंधेरे समेटे हुए पड़े रहना

चराग़-ए-राह-गुज़र इस तरह बने रहना

ये ख़्वाहिशों का समुंदर सराब जैसा है

सभी का अपने तआक़ुब में भागते रहना

नई बहार की ख़ुशियाँ नसीब हों लेकिन

निशानियाँ गए मौसम की भी रखे रहना

उदास चेहरे कोई भी नहीं पढ़ा करता

नुमाइशों की तरह आप भी सजे रहना

मैं इतनी भीड़ में इक रोज़ खो भी सकता हूँ

कसी जगह तो मिरा नाम भी लिखे रहना

ऐ ज़िंदगी मिरे दुख-सुख कहाँ ये छोड़ आई

वो लम्हा लम्हा बिखरना वो रत-जगे रहना

'रईस' कौन सा आसेब है मकानों में

तमाम शहर ये कहता है जागते रहना

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In Hindi By Famous Poet Rais Siddiqui. is written by Rais Siddiqui. Complete Poem in Hindi by Rais Siddiqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.