Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c4bebcaac1460b423ae4b740e3da7140, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
नए शहरों की बुनियाद - रईस फ़रोग़ कविता - Darsaal

नए शहरों की बुनियाद

उन की बारगाह में

जंगल के शेर

जारोब-कशी करते हैं

मौत ने उन से वादा किया था

आग नहीं जलाएगी

सातवीं नस्ल तक

लेकिन मैं हूँ

आठवीं नस्ल में

मैं ने उन की सफ़ेद ख़ुश्बू को महसूस किया है

उन की दस्तार का

एक सिरा मशरिक़ में गुम है

एक सिरा एक और मशरिक़ में गुम है

वो सूरज के आगे आगे क़बा पहन कर चलते हैं

हम अपनी हदों में सिमटे हुए

उन्हें देखते हैं

और कहते हैं नए शहरों की बुनियाद वही रखते हैं

जो जंगल के शेरों को

जारोब-कशी पर मामूर कर दें

हम तो

अपने घोड़ों की गर्दन पर

बाग भी नहीं छोड़ सकते

(573) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rais Farogh. is written by Rais Farogh. Complete Poem in Hindi by Rais Farogh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.