नए शहरों की बुनियाद
उन की बारगाह में
जंगल के शेर
जारोब-कशी करते हैं
मौत ने उन से वादा किया था
आग नहीं जलाएगी
सातवीं नस्ल तक
लेकिन मैं हूँ
आठवीं नस्ल में
मैं ने उन की सफ़ेद ख़ुश्बू को महसूस किया है
उन की दस्तार का
एक सिरा मशरिक़ में गुम है
एक सिरा एक और मशरिक़ में गुम है
वो सूरज के आगे आगे क़बा पहन कर चलते हैं
हम अपनी हदों में सिमटे हुए
उन्हें देखते हैं
और कहते हैं नए शहरों की बुनियाद वही रखते हैं
जो जंगल के शेरों को
जारोब-कशी पर मामूर कर दें
हम तो
अपने घोड़ों की गर्दन पर
बाग भी नहीं छोड़ सकते
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