काली रेत
मटियाली रातों का पानी
काले बिस्तरों पर बहता है
तुम ने समुंदर के किनारे बिस्तरों का ख़्वाब देखा
और अपने फ़ैसले में ज़ाहिर हो गईं
फिर वो बंदर-गाह ख़ाली हो गई
जिस पर
दो शाख़ें लहराती हैं
और एक पत्थर चमकता है
मैं उन बारिशों को थमता हुआ देखता हूँ
जिन की
बरहनगी में हम समुंदरों तक जाते थे
और नेकियाँ तलाश करते थे
(538) Peoples Rate This