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राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ - रईस अमरोहवी कविता - Darsaal

राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ

राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ

ये बात अपनी ज़ुल्फ़-ए-शिकन-दर-शिकन से पूछ

आवारगी के लुत्फ़ न सर्व-ओ-समन से पूछ

वहशत में क्या मज़ा है हवा-ए-चमन से पूछ

मरदान-ए-हक़ का अज़्म शहीदान-ए-हक़ का जुर्म

दिल-दादगान-ए-शेवा-ए-दार-ओ-रसन से पूछ

क्या शाम-ए-ग़म में दीदा-ओ-दिल पर गुज़र गई

उन ताज़ा वारिदान-ए-बिसात-ए-कुहन से पूछ

लज़्ज़त-कशान-ए-साग़र-ए-इशरत को क्या ख़बर

रंज-ए-ख़ुमार तल्ख़ी-ए-काम-ओ-दहन से पूछ

सहन-ए-चमन में लाला-ओ-गुल पर तिरे बग़ैर

क्या क्या गुज़र रही है बहार-ए-चमन से पूछ

आग़ाज़-ए-इर्तिबात-ओ-ताल्लुक़ के वाक़िआ'त

कुछ अपने होश कुछ मिरे दीवाना-पन से पूछ

ऐ फ़स्ल-ए-गुल मिज़ाज जराहत-रसीदगाँ

गर हो सके तो लाला-ए-ख़ूनीं कफ़न से पूछ

जो तेरी मश्क़-ए-नाज़ से पामाल हो गया

अपना मिज़ाज-ए-नाज़ उसी ख़स्ता-तन से पूछ

अफ़्साना-ए-बहार असीर-ए-क़फ़स से सुन

याद-ए-वतन का लुत्फ़ किसी बे-वतन से पूछ

ऐ दोस्त हम से कुफ़्र-ए-मोहब्बत का दर्स ले

असरार-ए-काफ़िरी न बुत-ओ-बरहमन से पूछ

हम भी कभी थे अंजुमन-आरा-ए-आरज़ू

उस जान-ए-बज़्म-ओ-जे़ब-दह-ए-अंजुमन से पूछ

हम भी कभी थे यूसुफ़-ए-कनआन-ए-रंग-ओ-बू

पीर-ए-ज़ईफ़-ओ-पीर ज़न-ओ-पैरहन से पूछ

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In Hindi By Famous Poet Rais Amrohvi. is written by Rais Amrohvi. Complete Poem in Hindi by Rais Amrohvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.