आरज़ूओं का नगर छोड़ आए

आरज़ूओं का नगर छोड़ आए

नाज़ था जिस पे वो घर छोड़ आए

इक तिरी याद बचा कर रख ली

सारा सामान-ए-सफ़र छोड़ आए

मुद्दतों याद रखेगी दुनिया

हम भी इक ऐसा हुनर छोड़ आए

घर के बाहर भी उदासी न गई

घर से घबरा के जो घर छोड़ आए

थक गए जब कोई खिड़की न खुली

हम वहीं दीदा-ए-तर छोड़ आए

उस को आते ही बनेगी 'रहमत'

आज इक ऐसी ख़बर छोड़ आए

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In Hindi By Famous Poet Rahmat Amrohvi. is written by Rahmat Amrohvi. Complete Poem in Hindi by Rahmat Amrohvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.