आप से है मुक़ाबला दर-पेश
है अजब दिल को मरहला दर-पेश
कितनी अय्यार है तिरी दुनिया
है इसी से मोआमला दर-पेश
हल तुम्हारे बग़ैर कैसे हो
ज़िंदगी का है मसअला दर-पेश
इश्क़ वाले हैं मुब्तला-ए-ग़म
हुस्न वालों का है भला दर-पेश
रू-ब-रू है वो ख़ूब-रू 'जामी'
है क़यामत का मरहला दर-पेश