मय मिले या न मिले रस्म निभा ली जाए
मय मिले या न मिले रस्म निभा ली जाए
ख़ाली बोतल है तो ख़ाली ही उछाली जाए
हम भी हैं सीना-सिपर आप भी शमशीर-ब-कफ़
बात तो जब है कोई वार ना ख़ाली जाए
घर के आँगन में तअ'स्सुब की ये सड़ती हुई लाश
कितने दिन बीत गए अब तो उठा ली जाए
क्या तअ'ज्जुब है कि कुछ सोते हुए जाग उठीं
सूनी बस्ती में इक आवाज़ लगा ली जाए
कल जो आएँ वो अंधेरों में न भटकें 'राही'
लाओ इक शम्अ' सर-ए-राह जला ली जाए
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