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हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे - राही शहाबी कविता - Darsaal

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

हम अहल-ए-मोहब्बत हैं दरख़्शंदा रहेंगे

जो नक़्श-ए-क़दम अहल-ए-जुनूँ छोड़ गए हैं

तुम लाख मिटाओगे वो पाइंदा रहेंगे

तुम ने वो सितम ढाए हैं अरबाब-ए-वफ़ा पर

तारीख़ के औराक़ भी शर्मिंदा रहेंगे

हालात जो माज़ी में थे वो आज नहीं हैं

दरपेश जो अब हैं वो न आइंदा रहेंगे

ढल जाएगा इक रोज़ तिरे हुस्न का सूरज

हम आज भी ताबिंदा हैं ताबिंदा रहेंगे

रंग अपना बदलता है ज़माना तो बदल ले

हम अज़्मत-ए-रफ़्ता के नुमाइंदा रहेंगे

सब नाम-ओ-निशाँ दहर से मिट जाएँगे 'राही'

कुछ नाम हैं ऐसे भी जो पाइंदा रहेंगे

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In Hindi By Famous Poet Rahi Shahabi. is written by Rahi Shahabi. Complete Poem in Hindi by Rahi Shahabi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.