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अहद-ए-गुम-गश्ता की निशानी हूँ - राही कुरैशी कविता - Darsaal

अहद-ए-गुम-गश्ता की निशानी हूँ

अहद-ए-गुम-गश्ता की निशानी हूँ

एक भूली हुई कहानी हूँ

वो ख़ुशी हूँ जो दर्द सुलगाए

आग जिस से लगे वो पानी हूँ

एक आँसू हूँ चश्म-ए-इशरत का

ज़ीस्त का रंज-ए-शादमानी हूँ

अपनी बर्बादियों पे याद आया

कितनी आबादियों का बानी हूँ

सीना-ए-दश्त पर हूँ मौज-ए-सराब

ख़ुश्क दरियाओं की रवानी हूँ

आइना-ख़ाना-ए-ज़माना में

अक्स अपना हूँ अपना सानी हूँ

इक तबस्सुम की आस में 'राही'

कब से महरूम-ए-शादमानी हूँ

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In Hindi By Famous Poet Rahi Quraishi. is written by Rahi Quraishi. Complete Poem in Hindi by Rahi Quraishi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.