Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ab6da87063c86322b4847189b12c3cc7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
यास-ओ-हिरास-ओ-जौर-ओ-जफ़ा से अलग-थलग - राही फ़िदाई कविता - Darsaal

यास-ओ-हिरास-ओ-जौर-ओ-जफ़ा से अलग-थलग

यास-ओ-हिरास-ओ-जौर-ओ-जफ़ा से अलग-थलग

इक साएबाँ है क़हर-ए-ख़ुदा से अलग-थलग

देखो उठा है वो भी अलामत के तौर पर

दस्त-ए-दराज़ दस्त-ए-दुआ से अलग-थलग

परवाना-ए-हवा-ओ-हवस हाँ बराए-शौक़

कोई मक़ाम शम-ए-वफ़ा से अलग-थलग

कब तक रहेगा वहशी-ए-एहसास-ओ-आगही

ना-साज़गार आब-ओ-हवा से अलग-थलग

मिल जाएगा हिसार-ए-अज़ीमत के आस पास

कर्ब-ए-सुकूत आह-ओ-बुका से अलग-थलग

सद-हादसात-ए-ख़ाम हैं इबरत-निगाह में

तारीख़-साज़ जुर्म-ओ-सज़ा से अलग-थलग

इस ख़ौफ़ से न सेहर-बयानी पे हर्फ़ आए

'राही' रहे हैं चून-ओ-चरा से अलग-थलग

(1098) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rahi Fidai. is written by Rahi Fidai. Complete Poem in Hindi by Rahi Fidai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.