राही फ़िदाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राही फ़िदाई
नाम | राही फ़िदाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Rahi Fidai |
जन्म की तारीख | 1949 |
जन्म स्थान | Bangalore |
ये कैसा गुल खिलाया है शजर ने
शराफ़तों के रंग में शरारतें ख़लत-मलत
सब्ज़ा-ज़ारों की शराफ़त से न खेलो क़तअन
लज़्ज़त का ज़हर वक़्त-ए-सहर छोड़ कर कोई
किसी को साया किसी को गुल-ओ-समर देगा
हवस-गिरफ़्ता हवाओ निगाहें नीची रखो
हर एक शाख़ थी लर्ज़ां फ़ज़ा में चीख़-ओ-पुकार
हादसों के ख़ौफ़ से एहसास की हद में न था
बराए-नाम ही सही ब-एहतियात कीजिए
आप ने अच्छा किया ततहीर-ए-ख़्वाहिश ही न की
यास-ओ-हिरास-ओ-जौर-ओ-जफ़ा से अलग-थलग
वक़्त के इंतिज़ार में वो है
सुनो तो आरिज़ा-ए-इख़तिलाज रहने दो
मुतालेआ की हवस है किताब दे जाओ
मता-ओ-माल-ए-हवस हुब्ब-ए-आल सामने है
कोई नश्शा न कोई ख़्वाब ख़रीद
ख़ुद को मुम्ताज़ बनाने की दिली-ख़्वाहिश में
हम न होते काख़-ए-मुश्त-ए-ख़ाक होता ग़ालिबन
हर इक फ़न में यक़ीनन ताक़ है वो
एहसास-ए-ज़िम्मेदारी बेदार हो रहा है