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तेरे कूचे में जा के भूल गए - राहील फ़ारूक़ कविता - Darsaal

तेरे कूचे में जा के भूल गए

तेरे कूचे में जा के भूल गए

ख़ुद को हम याद आ के भूल गए

ज़ख़्म ख़ंदाँ हैं आज भी मेरे

आप तो मुस्कुरा के भूल गए

बहस गो नासेहों ने अच्छी की

मुद्दआ सटपटा के भूल गए

जो भुलाए न भूलते थे सितम

सामने उन को पा के भूल गए

कौन थे क्या थे हम कहाँ के थे

जाने किस को बता के भूल गए

हम तो ख़ैर उन को भूलते थे कहाँ

वा'दे लेकिन वफ़ा के भूल गए

ऐसे भी क्या अलाव बुझते हैं

दिल को समझा-बुझा के भूल गए

हाए आँखें तो हम भी रखते थे

हाए हम तो मिला के भूल गए

भूल जाता है आदमी लेकिन

आप नज़दीक ला के भूल गए

इश्क़ 'राहील' उसी को कहते हैं

रंज उठाए उठा के भूल गए

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In Hindi By Famous Poet Raheel Farooq. is written by Raheel Farooq. Complete Poem in Hindi by Raheel Farooq. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.