तबर-ओ-तेशा-ओ-तासीर कहाँ से लाएँ
तबर-ओ-तेशा-ओ-तासीर कहाँ से लाएँ
इश्क़ फ़रमाएँ जू-ए-शीर कहाँ से लाएँ
ख़्वाब ही ख़्वाब हैं ता'बीर कहाँ से लाएँ
लाएँ पर ख़ूबी-ए-तक़दीर कहाँ से लाएँ
मरहम-ए-ख़ाक ग़नीमत है कि मौजूद तो है
दश्त में बैठ के इक्सीर कहाँ से लाएँ
कोई ज़ाहिद है तो अल्लाह की मर्ज़ी से है
ऐसी तक़्सीर पे ता'ज़ीर कहाँ से लाएँ
कहिए कुछ उस के ठिकाने का पता भी तो चले
कर के 'राहील' को ज़ंजीर कहाँ से लाएँ
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