Ghazals of Rahat Sarhadi
नाम | राहत सरहदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rahat Sarhadi |
ज़िक्र शब्बीर से निकल आया
वो तुमतराक़-ए-सिकंदर न क़स्र-ए-शाह में है
तिरा ग़म अश्क बन कर आ गया है
मुक़य्यद ज़ात के अंदर नहीं मैं
जहाँ कहीं भी तिरे नाम की दुहाई दी
जा बैठे नदी किनारे रात और मैं
बुतान-ए-ख़िश्त-ओ-संग से कलाम कर के आ गया
बना के तल्ख़ हक़ाएक़ से पर निकलती है