रुमूज़-ए-ग़म से बेगाने ख़ुशी का राज़ क्या जानें
रुमूज़-ए-ग़म से बेगाने ख़ुशी का राज़ क्या जानें
क़ज़ा से डरने वाले ज़िंदगी का राज़ क्या जानें
खुला जिन पर न राज़-ए-गिर्या-ए-शबनम गुलिस्ताँ में
वो नादाँ ग़ुंचा-ओ-गुल की हँसी का राज़ क्या जानें
हँसी आती है हम को हज़रत-ए-वाइ'ज़ की बातों पर
जो ख़ुद मय-कश नहीं वो मय-कशी का राज़ क्या जानें
जो हो के रह गए ग़म रोज़-ए-रौशन के उजालों में
शब-ए-ग़म की भयानक तीरगी का राज़ क्या जानें
बताएँगे भला क्या ख़िज़र हम को राह मंज़िल की
वो ख़ुद गुम-कर्दा-रह हैं रहबरी का राज़ क्या जानें
बुतान-ए-फ़ित्ना-जू से क्या तवक़्क़ो' आश्नाई की
भला ये दुश्मन-ए-जाँ दोस्ती का राज़ क्या जानें
कोई आरिफ़ ही ऐ 'उम्मीद' उसे समझे अगर समझे
ये फ़रज़ाने मिरी दीवानगी का राज़ क्या जानें
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