फूलों से छुप सका है कहीं गुलिस्ताँ का हाल

फूलों से छुप सका है कहीं गुलिस्ताँ का हाल

हम जानते हैं आज है जो इस जहाँ का हाल

नज़रों में दार-ओ-गीर का आलम है आज भी

किस दिल से हम बताएँ तुम्हें कारवाँ का हाल

बिजली की ज़द में आ गया फ़स्ल-ए-बहार में

अल-मुख़्तसर यही है मेरे आशियाँ का हाल

नक़्शा किसी की बज़्म का आँखों में फिर गया

वाइ'ज़ ने आज छेड़ा जो बाग़-ए-जिनाँ का हाल

है फ़िक्र गुल की इस को न कलियों का कुछ ख़याल

हम क्या बताएँ आज जो है बाग़बाँ का हाल

बे-बाल-ओ-पर पड़ा हूँ क़फ़स में चमन से दूर

कुछ तो बताओ मुझ को मिरे गुलिस्ताँ का हाल

मेरे ही गुलिस्ताँ की नहीं बात ऐ 'उमीद'

है एक ही सा आज तो सारे जहाँ का हाल

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In Hindi By Famous Poet Raghunath Sahai. is written by Raghunath Sahai. Complete Poem in Hindi by Raghunath Sahai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.