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मैं ही बोलूँगा न तू बोलेगा - राग़िब मुरादाबादी कविता - Darsaal

मैं ही बोलूँगा न तू बोलेगा

मैं ही बोलूँगा न तू बोलेगा

बे-गुनाहों का लहू बोलेगा

मौसम-ए-गुल में ये एजाज़-ए-जुनूँ

एक इक तार-ए-रफ़ू बोलेगा

मय-कदा भी है करामत का मक़ाम

दस्त-ए-साक़ी में सुबू बोलेगा

पास-ए-पैमान-ए-मोहब्बत है मुझे

चुप रहें दोस्त अदू बोलेगा

मैं बद-अख़लाक़ नहीं हूँ मुझ से

क्यूँ बुत-ए-अरबदा-जू बोलेगा

जुर्म-ए-हक़-गोई में सर जाने पर

मेरा इक इक बुन-ए-मू बोलेगा

हूक उठेगी मिरे दिल से 'राग़िब'

जब पपीहा लब-ए-जू बोलेगा

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In Hindi By Famous Poet Raghib Muradabadi. is written by Raghib Muradabadi. Complete Poem in Hindi by Raghib Muradabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.