हक़ बात ही कहेंगे सर-ए-दार देखना
हक़ बात ही कहेंगे सर-ए-दार देखना
अहल-ए-क़लम की जुरअत-ए-इज़हार देखना
देखें जिन्हें हैं दैर के दीवार-ओ-दर अज़ीज़
हम को तो सिर्फ़ सू-ए-दर-ए-यार देखना
करता रहा क़लम यूँही शाख़ें जो बाग़बाँ
नापैद होगा साया-ए-अश्जार देखना
सरकार आप पर जो छिड़कते हैं जान आज
बच कर चलेंगे कल ये नमक-ख़्वार देखना
बुनियाद जिस की है हवस-ए-इक़्तिदार पर
होने को है वो क़िलअ' भी मिस्मार देखना
डाला जो तुम ने हाथ कुलाह-ए-अवाम पर
लग जाएँगे सरों के भी अम्बार देखना
(488) Peoples Rate This