राग़िब बदायुनी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राग़िब बदायुनी
नाम | राग़िब बदायुनी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Raghib Badayuni |
वाह क्या आलम अजब है इंतिज़ार-ए-यार का
उन से दिल मिलते ही फ़ुर्क़त की बला भी आई
ना-मुनासिब है ख़फ़ा नालों को सुन कर होना
नहीं है अम्न का दुनिया में अब मक़ाम कोई
जाऊँ क्या मुँह ले के मैं वो बद-गुमाँ हो जाएगा
दिल है अपना रंज-ए-फ़ुर्क़त में शरीक
बे-ख़ुदी है हसरतों की भीड़ छट जाने के बा'द
अज़ल की याद में मैं गर्म-ए-आह-ए-सर्द हुआ
आदमी आदमी से मिलते हैं