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ये कर्ब ये तसलसुल-ए-बे-ख़्वाब शब तो है - राग़िब अख़्तर कविता - Darsaal

ये कर्ब ये तसलसुल-ए-बे-ख़्वाब शब तो है

ये कर्ब ये तसलसुल-ए-बे-ख़्वाब शब तो है

गोया तुम्हारी याद का कोई सबब तो है

अंजाम जो भी हो मिरा इस रज़्म-गाह में

मंसूब तेरे नाम से जश्न-ए-तरब तो है

सरमाया-ए-हयात मिरे पास कम नहीं

ज़ख़्म-ए-जिगर फ़रेब-ए-नज़र दर्द सब तो है

मिलने में उज़्र तर्ज़-ए-तकल्लुम बुझा बुझा

पहले न थी ये बात मगर ख़ैर अब तो है

ऐ बहर-ए-इम्बिसात कि तू ला-ज़वाल है

अब भी तिरे क़रीब कोई तिश्ना-लब तो है

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In Hindi By Famous Poet Raghib Akhtar. is written by Raghib Akhtar. Complete Poem in Hindi by Raghib Akhtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.