Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d93c8481a07b6fa2d1e936e3547c92c6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उदास शाम की तन्हाइयों में जलता हुआ - रफ़ीक़ ख़याल कविता - Darsaal

उदास शाम की तन्हाइयों में जलता हुआ

उदास शाम की तन्हाइयों में जलता हुआ

वो काश आए कभी मेरे पास चलता हुआ

शब-ए-फ़िराक़ ने मिस्मार सारे ख़्वाब किए

कोई तो मुज़्दा सुनाए ये दिन निकलता हुआ

है क्या अजब कि कभी चाँद भी अँधेरों में

सुकूँ तलाश करे ज़ाविए बदलता हुआ

मिरे मसीहा ख़ुदा आज तेरा रक्खे भरम

नज़र मुझे नहीं आता ये जी बहलता हुआ

मैं रौशनी के नगर में पड़ाव ख़ाक करूँ

डरा रहा है मुझे अपना साया ढलता हुआ

(388) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rafique Khayal. is written by Rafique Khayal. Complete Poem in Hindi by Rafique Khayal. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.