ग़ार में बैठा शख़्स
चाँद सितारे
फूल बनफ़्शी पत्ते
टहनी टहनी जुगनू बन कर
उड़ने वाली बर्फ़
लकड़ी के शफ़्फ़ाफ़ वरक़ पर
मोर के पर की नोक से लिक्खे
काले काले हर्फ़
उजली धूप में
रेत के रौशन ज़र्रे
और पहाड़ी दर्रे
अब्र-सवार सुहानी शाम
और सब्ज़ क़बा में एक परी का जिस्म
सुर्ख़ लबों की शाख़ से झड़ते
फूलों जैसे इस्म
रंग-ब-रंग तिलिस्म
झील की तह में डूबते चाँद का अक्स
ढोल की वहशी ताल पे होता
नीम-बरहना रक़्स!
कैसे कैसे मंज़र देखे
एक करोड़ बरस पहले के
ग़ार में बैठा शख़्स!!
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