Ghazals of Rafiq Khawar Jaskani
नाम | रफ़ीक़ ख़ावर जस्कानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rafiq Khawar Jaskani |
रात के साँस की महकार से सरशार हवा
रात बेज़ार सा घर से जो मैं तन्हा निकला
फिर तेज़ हवा चलते ही बे-कल हुईं शाख़ें
मुद्दत हुई ख़मोशी-ए-इज़हार-ए-हाल को
ख़िज़ाँ के ज़ख़्म हवा की महक से भरने लगे
ख़ला की मंज़िल-ए-पायाब का पता भी मैं
बिखरा के हम ग़ुबार सा वहम-ओ-ख़याल पर