Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_96a3f648f99cffbf49910a3d41f4f27e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तमाम शहर में है आम कारोबार-ए-हवस - रईसुदीन रईस कविता - Darsaal

तमाम शहर में है आम कारोबार-ए-हवस

तमाम शहर में है आम कारोबार-ए-हवस

कि चेहरे चेहरे पे चस्पाँ है इश्तिहार-ए-हवस

अभी रगों में है तल्ख़ी-ए-ए'तिबार-ए-हवस

बदन में टूट रहा है अभी ख़ुमार-ए-हवस

जो चल पड़े हो तो अंजाम-ए-गुमरही से डरो

सुपुर्द-ए-ख़ाक न कर दे ये रहगुज़ार-ए-हवस

हवा है गर्म न कमरे की खिड़कियाँ खोलो

न जाने शहर में ठहरे कहाँ ग़ुबार-ए-हवस

फ़रार ख़्वाहिश-ए-हस्ती से जब नहीं मुमकिन

नफ़स की क़ैद कहें या इसे हिसार-ए-हवस

(403) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Raeesuddin Raees. is written by Raeesuddin Raees. Complete Poem in Hindi by Raeesuddin Raees. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.