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रोज़ इक ख़्वाब-ए-मुसलसल और मैं - रईसुदीन रईस कविता - Darsaal

रोज़ इक ख़्वाब-ए-मुसलसल और मैं

रोज़ इक ख़्वाब-ए-मुसलसल और मैं

रात भर यादों का जंगल और मैं

हाथ कोई भी सहारे को नहीं

पाँव के नीचे है दलदल और मैं

सोचता हूँ शब गुज़ारूँ अब कहाँ

घर का दरवाज़ा मुक़फ़्फ़ल और मैं

हर क़दम तारीकियाँ हैं हम-रिकाब

अब कोई जुगनू न मिशअल और मैं

है हर इक पल ख़ौफ़ रक़्साँ मौत का

चार-सू है शोर-ए-मक़्तल और मैं

शेर कहना अब 'रईस' आसाँ नहीं

सामने इक चेहरा मोहमल और मैं

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In Hindi By Famous Poet Raeesuddin Raees. is written by Raeesuddin Raees. Complete Poem in Hindi by Raeesuddin Raees. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.