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उस बुत से जो मिलने की तदबीर नज़र आई - रईस नारवी कविता - Darsaal

उस बुत से जो मिलने की तदबीर नज़र आई

उस बुत से जो मिलने की तदबीर नज़र आई

बनती हुई कुछ अपनी तक़दीर नज़र आई

छुप छुप के ज़माने से क्यूँ अश्क-रवानी है

शायद कि मोहब्बत में तासीर नज़र आई

जीने का मज़ा क्या है जब मौत ही रूठी हो

जिस सम्त क़दम उठ्ठे ज़ंजीर नज़र आई

जब आलम-ए-वहशत में अपने को भुला बैठा

अंजाम-ए-मोहब्बत की तक़्सीर नज़र आई

पैमाना-ओ-मीना की सूरत में 'रईस' आख़िर

टूटी हुई तौबा की तस्वीर नज़र आई

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In Hindi By Famous Poet Raees Narvi. is written by Raees Narvi. Complete Poem in Hindi by Raees Narvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.