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उन आँखों से पहले भी कहीं बात हुई है - रईस अख़तर कविता - Darsaal

उन आँखों से पहले भी कहीं बात हुई है

उन आँखों से पहले भी कहीं बात हुई है

सोचूँगा कहाँ तुम से मुलाक़ात हुई है

तक़्दीस-ए-मोहब्बत पे कहीं हर्फ़ न आए

तस्कीन-ए-हवस शामिल-ए-जज़्बात हुई है

ये रौशनी शाइस्ता उजालों का है धोका

ऐ दोस्त अभी ख़त्म कहाँ रात हुई है

हालात ही ऐसे हैं कि थमते नहीं आँसू

अब ज़िंदगी बे-वक़्त की बरसात हुई है

जिस रोज़ से हम शहर-ए-तमन्ना में लुटे हैं

अफ़्सुर्दगी हम-शक्ल-ए-मुनाजात हुई है

तुम भी तो 'रईस' आज नए ज़ेहन से सोचो

अब तक तो ग़ज़ल नज़्र-ए-रिवायात हुई है

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In Hindi By Famous Poet Raees Akhtar. is written by Raees Akhtar. Complete Poem in Hindi by Raees Akhtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.