Ghazals of Raees Akhtar
नाम | रईस अख़तर |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Raees Akhtar |
ज़िंदगी की चाहत में ज़िंदगी से मत खेलो
वक़्त की तेज़-रवी देख के डर जाते हैं
वक़्त की तेज़ रवी देख के डर जाते हैं
उन आँखों से पहले भी कहीं बात हुई है
तन्हाइयाँ जो रास न आएँ तो क्या करें
शहर-ए-ग़ज़ल में बिकने को तय्यार कौन है
साज़-ए-फ़ुर्क़त पे ग़ज़ल गाओ कि कुछ रात कटे
निशात-ए-मंज़िल-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र को याद करो
लब पे इक नाम जब आता है तो रो लेते हैं
कहीं शर्मिंदा न हो रस्म-ए-वफ़ा मेरे बा'द
जाने क्या बात है क्यूँ गर्मी-ए-बाज़ार नहीं
जाने किस वास्ते दिल चश्म-ए-करम माँगे है
हम कहाँ और दिल-ए-ख़राब कहाँ
हमें तो एक ही चेहरा दिखाई देता है
ग़मों से रिश्ता है अपना भी दोस्ती की तरह
एक धोका है दिलकशी क्या है
दुनिया से आज जज़्ब-ए-वफ़ा माँगता हूँ मैं