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ज़ीस्त क्या है हिमाक़तों के सिवा - रबीअा फख़री कविता - Darsaal

ज़ीस्त क्या है हिमाक़तों के सिवा

ज़ीस्त क्या है हिमाक़तों के सिवा

चंद ज़ालिम सदाक़तों के सिवा

हम ने दानिशवरों से क्या सीखा

उलझी उलझी इबारतों के सिवा

फ़न को विर्से में क्या दिया हम ने

ख़ूबसूरत अलामतों के सिवा

हम ने इस ज़िंदगी से क्या पाया

चंद ज़ेहनी रफ़ाक़तों के सिवा

इन बड़ी ताक़तों के पास है क्या

छोटी छोटी रक़ाबतों के सिवा

आस्तीनों में दोस्तों की है क्या

पस-ए-पर्दा अदावतों के सिवा

क्या है तहज़ीब-ए-मग़रिबी का निशाँ

ऊँची ऊँची इमारतों के सिवा

ये सियासत की गर्मी-ए-रफ़्तार

क्या है मोहमल बुझारतों के सिवा

क्या लिया हम ने अपने माज़ी से

नीम-मुर्दा रिवायतों के सिवा

अपनी मंज़िल नहीं कोई शायद

जान लेवा मसाफ़तों के सिवा

अपना सरमाया-ए-हयात है क्या

रंग-दर-रंग साअतों के सिवा

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In Hindi By Famous Poet Rabia Fakhri. is written by Rabia Fakhri. Complete Poem in Hindi by Rabia Fakhri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.