राज़ यज़दानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राज़ यज़दानी
नाम | राज़ यज़दानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Raaz Yazdani |
वो सामने सर-ए-मंज़िल चराग़ जलते हैं
ठहर के तलवों से काँटे निकालने वाले
ठहर के पाँव के काटे निकालने वाले
सज़ा के झेलने वाले ये सोचना है गुनाह
अगर गुनाह के क़िस्से भी कह दिए तुझ से
नहीं कि अपनी तबाही का 'राज़' को ग़म है
इस दर की सी राहत भी दो आलम में कहीं है