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तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे - राज़ लाइलपूरी कविता - Darsaal

तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे

तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे

मय के बदले साक़िया तू ने दिया पानी मुझे

मय-गुसारी में वो अब पहली सी कैफ़िय्यत नहीं

दे दिया साक़ी ने क्या बे-कैफ़ सा पानी मुझे

अब किसी मशरूब से दिल चैन पा सकता नहीं

काश वो आ के पिला दे तेग़ का पानी मुझे

दे दिया साक़ी ने भर कर मुझ को भी जाम-ए-शराब

मैं तो कहता ही रहा पानी मुझे पानी मुझे

उस को जानूँ यार मुख़्लिस उस को मानूँ ग़म-गुसार

जो पिला दे रंज में कुल्फ़त-रुबा पानी मुझे

चल पड़ीं साँसें धड़कने लग गईं नब्ज़-ए-हयात

क्या किसी ने दे दिया अंगूर का पानी मुझे

वो तप-ए-ग़म है कि सूखे हैं लब-ओ-काम-ओ-दहन

काश आ कर वो पिलाएँ दीद का पानी मुझे

पी रहा हूँ शौक़ से ऐ 'राज़' जिस को आज तक

एक दिन आख़िर डुबो देगा वही पानी मुझे

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In Hindi By Famous Poet Raaz Layalpuri. is written by Raaz Layalpuri. Complete Poem in Hindi by Raaz Layalpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.