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यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं - राज़ इलाहाबादी कविता - Darsaal

यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं

यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं

ये दर्द तुम ने दिया है तो कोई बात नहीं

यही बहुत है कि तुम देखते हो साहिल से

सफ़ीना डूब रहा है तो कोई बात नहीं

ये फ़िक्र है कहीं तुम भी न साथ छोड़ चलो

जहाँ ने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं

तुम्ही ने आइना-ए-दिल मिरा बनाया था

तुम्ही ने तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं

किसे मजाल कहे कोई मुझ को दीवाना

अगर ये तुम ने कहा है तो कोई बात नहीं

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In Hindi By Famous Poet Raaz Allahabadi. is written by Raaz Allahabadi. Complete Poem in Hindi by Raaz Allahabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.