पी शराब नाम-ए-रिंदाँ ता असर सूँ कैफ़ के
ज़िक्र-ए-अल्लाह अल्लाह हो वे गर कहे तू राम राम
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माह-ए-मन शम्अ तुमन दिल के शबिस्तान में आ
कम-निगाही होर तग़ाफ़ुल मत कर ऐ माह-ए-तमाम
इक रात बख़्त सूँ मैं रिंदाँ का सात पाया
ख़ुदा होना बी मुश्किल है बंदा होना बी मुश्किल है
यक रात मैं गया था रिंदाँ के अंजुमन में
न तिरा ऐ निगार बेहतर है