प्यारी के नैनाँ हैं जैसे कटारे
प्यारी के नैनाँ हैं जैसे कटारे
न सम उस के अंगे कोई हैं दो धारे
असर तुज मोहब्बत का जिस कूँ चड़ेगा
तिरे लाल बिन उस कूँ कोई न उतारे
दो लोचन हैं तेरे निसंग चोर रावत
ओ नो सूँ दिलेरी न कर सब ही हारे
सुहाता है तुज कूँ गुमाँ होर ग़रूरी
कि माते अहें तुज हुस्न के प्यारे
सकियाँ में तू है मिर्ग-नैनी छबेली
सजन तू नहीं होते तुज थे किनारे
अजब चपख़लाई है तेरी नयन में
कि खंजन नमन एक तिल कईं न ठारे
नबी सदक़े 'क़ुतबा' सूँ मद पीवे जम-जम
वो चंद मुख कि जिस मुख थे जूती सिंगारे
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