Qita Poetry (page 35)
आदमी लाख हो मायूस मगर मिस्ल-ए-नसीम
अली सरदार जाफ़री
आब-ओ-दाना
खालिद इरफ़ान
आब-ए-दरिया में है जिस तरह रवानी पिन्हाँ
अख़्तर अंसारी
आ तेरे होंट चूम लूँ ऐ मुज़्दा-ए-नजात
अली सरदार जाफ़री
आ कि इन बद-गुमानियों की क़सम
जाँ निसार अख़्तर
आ कि बज़्म-ए-तरब सजा लें हम
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
आ गई फ़स्ल-ए-सुकूँ चाक-गरेबाँ वालो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़