Qita Poetry (page 34)
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
आसिम पीरज़ादा
आसरा जब भी कोई टूटे है
गणेश बिहारी तर्ज़
आसमानों पे नज़र आती है उस की सुर्ख़ी
अफ़ज़ल इलाहाबादी
आसमाँ पर हैं ख़िरामाँ अब्र-पारों के हुजूम
एहसान दानिश
आसमाँ की बुलंदियों से नदीम
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
आसिम पीरज़ादा
आशिक़ जो चाहते थे वही काम हो गया
साग़र ख़य्यामी
आरज़ू के दिए जलाने से
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
महेश चंद्र नक़्श
आरज़ू
शौकत परदेसी
आप की राह में क्या क्या न सहा था हम ने
आमिर उस्मानी
आप कराएँ हम से बीमा छोड़ें सब अंदेशों को
अनवर मसूद
आँसुओं में भिगो के आँखों को
अहमद नदीम क़ासमी
आँसुओं में अलम का रंग न था
सूफ़ी तबस्सुम
आँखों से राज़ फ़ाश है सब दिल के हाल का
नवा लखनवी
आँखों के गुलाबों को नज़्मों में छुपा लूँगा
साबिर दत्त
आँख खुल जाती है जब रात को सोते सोते
अहमद नदीम क़ासमी
आख़िरत का ख़याल भी साक़ी
अब्दुल हमीद अदम
आज वो काम किया है मिरी महबूबा ने
नश्तर अमरोहवी
आज तंहाई किसी हमदम-ए-देरीं की तरह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आज पनघट पे ये गाता हुआ कौन आ निकला
अहमद नदीम क़ासमी
आज पनघट पर इस तरह थी भीड़
साबिर दत्त
आज मुद्दत के ब'अद होंटों पर
जाँ निसार अख़्तर
आज कुछ मुज़्महिल सी यादों के
सूफ़ी तबस्सुम
आज है अहल-ए-मोहब्बत का मुक़द्दस त्यौहार
प्रेम वारबर्टनी
आहटों के सराब में गुम हैं
जावेद कमाल रामपुरी
आह! तेरे बग़ैर ये महताब
साग़र सिद्दीक़ी
आह! मर्ग-ए-आरज़ू का माजरा अब क्या कहूँ
अख़्तर अंसारी
आगाही
अतहर शाह ख़ान जैदी
आदमी थे शय हुए सौदा हुए
प्रबुद्ध सौरभ